व्हाट्सएप के प्राइवेसी सुरक्षा मानकों पर भी उठे सवाल, मुफ्त सेवा देने के एवज में डाटा बेचता है एप
फेसबुक की इंस्टेंट मेसेजिंग सेवा व्हाट्सएप के निजता सुरक्षा मानकों पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि व्हाट्सएप के कुछ प्रावधानों को स्वीकार करने के कारण एप की ज्यादातर गतिविधियों को उपभोक्ता चुनौती नहीं दे सकता। इस समय भारत के 20 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के साथ व्हाट्सएप के दुनियाभर में एक अरब यूजर्स हैं। फेसबुक ने इस एप का 2014 में अधिग्रहण किया था।
अमेरिका के टेक उद्यमी विवेक वाधवा का कहना है कि दो लोगों के बीच होने वाले मेसेज एनक्रिप्टिड होने के कारण सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन बातचीत और बाकी डाटा की सुरक्षा पर यकीन नहीं किया जा सकता। व्हाट्सएप स्वीकार कर चुका है कि वह अपने यूजर्स की पहचान और डिवाइस की जानकारी फेसबुक से साझा कर रहा है।
वाधवा को सबसे ज्यादा चिंता व्हाट्सएप के ग्रुप चैट फीचर को लेकर है। इसमें ग्रुप का कोई भी सदस्य आपके फोन नंबर सहित बाकी डाटा देख सकता है। फोन नंबर मिलने के बाद कोई भी किसी को भी परेशान कर सकता है। इस एप के चैट फीचर में डिजाइन से जुड़ी कई खामियां हैं।
न्यूयॉर्क में वकील रवि बत्रा के मुताबिक दुनिया की एक-चौथाई या इससे ज्यादा आबादी मुफ्त सेवा के चक्कर में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रही है। वह कहते हैं कि आज मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। सोशल साइट्स अपने यूजर्स की आदतों और डाटा का इस्तेमाल अपनी कमाई के लिए करती हैं।
हर व्यक्ति का रहन-सहन, खानपान, काम, पंसद और खेलों को लेकर पसंद अलग होती है। इसलिए यूजर्स डाटा का कारोबार सबसे मुनाफे का काम है। उपभोक्ता समझौते के मुताबिक यूजर्स समूह बनाकर कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते यानी हर यूजर को कानूनी खर्च अलग उठाना होगा। ऐसे में ज्यादातर यूजर कानूनी पचड़ों में नहीं पड़ते।
अमेरिका के टेक उद्यमी विवेक वाधवा का कहना है कि दो लोगों के बीच होने वाले मेसेज एनक्रिप्टिड होने के कारण सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन बातचीत और बाकी डाटा की सुरक्षा पर यकीन नहीं किया जा सकता। व्हाट्सएप स्वीकार कर चुका है कि वह अपने यूजर्स की पहचान और डिवाइस की जानकारी फेसबुक से साझा कर रहा है।
वाधवा को सबसे ज्यादा चिंता व्हाट्सएप के ग्रुप चैट फीचर को लेकर है। इसमें ग्रुप का कोई भी सदस्य आपके फोन नंबर सहित बाकी डाटा देख सकता है। फोन नंबर मिलने के बाद कोई भी किसी को भी परेशान कर सकता है। इस एप के चैट फीचर में डिजाइन से जुड़ी कई खामियां हैं।
न्यूयॉर्क में वकील रवि बत्रा के मुताबिक दुनिया की एक-चौथाई या इससे ज्यादा आबादी मुफ्त सेवा के चक्कर में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रही है। वह कहते हैं कि आज मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। सोशल साइट्स अपने यूजर्स की आदतों और डाटा का इस्तेमाल अपनी कमाई के लिए करती हैं।
हर व्यक्ति का रहन-सहन, खानपान, काम, पंसद और खेलों को लेकर पसंद अलग होती है। इसलिए यूजर्स डाटा का कारोबार सबसे मुनाफे का काम है। उपभोक्ता समझौते के मुताबिक यूजर्स समूह बनाकर कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते यानी हर यूजर को कानूनी खर्च अलग उठाना होगा। ऐसे में ज्यादातर यूजर कानूनी पचड़ों में नहीं पड़ते।
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